ॐ त्र्य॑म्बकं यजामहे सु॒गन्धिं॑ पुष्टि॒वर्ध॑नम् ।
उ॒र्वा॒रु॒कमि॑व॒ बन्ध॑नान् मृ॒त्योर्मुक्षीय॒ मा ऽमृता॑त् ।
अर्थात् हम उस त्रिकालदर्शी भगवान शिव की पूजा करते हैं जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत के पालनकर्ता के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
त्रिनेत्र,त्रिकालदर्शी भगवान शिव की अर्चना का सबसे शक्तिशाली मंत्र कहा जाता है ,महामृत्युंजय मंत्र को,संस्कृति लिखित इस मंत्र को यजुर्वेद के रुद्र अध्याय से से लिया गया है,जिसमें ये मंत्र भगवान शिव की स्तुति हेतु की गई एक वंदना है,त्रयंबक उसको कहते है जिसके पास तीन आंखें होती हैं,और ये गुण केवल भगवान शिव के पास है,इसलिए महामृत्युंजय मंत्र को भगवान शिव की अर्चना के लिए जाना जाता है।
कुछ मान्यताओं की माने तो पृथ्वी पर इस मंत्र का जानकार केवल मार्कण्डेय थे,एक बार दक्ष की यातना से चन्द्र दुखी थी और मार्कण्डेय ने सति को ये मंत्र दिया था चन्द्र तक पहुंचाने के लिए,इस मंत्र को रुद्र मंत्र के नाम से भी जाना जाता है।
इस मंत्र की शक्ति से :
– मृत्यु भय का विनाश हो जाता है।
– मानसिक व्याधि दूर होती है।
– भावनात्मक रूप से मनुष्य मज़बूत होता है।
– यही नहीं इस मंत्र का उपयोग शारीरिक रूप से स्वस्थ्य होने के लिए भी किया जाता है।
– पुत्र की प्राप्ति एवं उन्नति के लिए भी इस मंत्र का जप किया जाता है।
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