हर इंसान अपने आप में एक ऊर्जा का बहुत बड़ा स्रोत है,हालांकि इस ऊर्जा की वास्तविकता बनाने के लिए सबसे प्रभावशाली तरीका है ध्यान – अभ्यास,रोज़ाना ध्यान में बैठने से हमें हमारे असली स्वरूप का ज्ञान होता है,और ज्ञान होने का तात्पर्य है आत्मा का उसके स्रोत परमात्मा के बीच एकता का स्थापित होना,और यही एकता एक रौशनी बन कर उभरती है जो हमारे चारों तरफ एक आभा बिखेरती है,जिसके बाद इंसान बाहरी आवरण को नज़रंदाज़ करके अपने सामने वाले इंसान में भी केवल यही रौशनी देखता है और यहीं से शुरुआत होती है मानव एकता की,जिसमें बाह्य सुंदरता के बजाय अंदरूनी खूबसूरती पर इंसान ध्यान केंद्रित करना सीख जाता है।
उदाहरण के तौर पर अगर देखा जाए तो जिस प्रकार बिजली कई आकृति में तब्दील होकर दिखाई देती है,कभी गोल,कभी चौकोर तो कभी त्रिकोण नुमा लेकिन इन सबके बीच ये ध्यान देने वाली बात है कि उसके प्रकाश की चमक हर अवस्था में वैसी ही रहती है,उसी प्रकार परमात्मा का प्रकाश भी अलग अलग मानवों,जानवरों,पक्षियों और दूसरे जीवों में विद्यमान रहता है और जब हमारा अंतर्मन इस प्रकार खुल जाता है तब हम समस्त जीवन को एक ही रूप में देखते और महसूस करते हैं,और इन सबको हासिल करने का सबसे उत्तम उपाय है ध्यान साधना ,यही एकमात्र तरीका है जिससे इंसान स्वयं को पहचाने हुए दूसरों में भी यही विशेषता देखने की कोशिश करता है और इस तरह मानव एकता को स्थापित करता है।
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