हिन्दू धर्म में व्रत रखने का बहुत अधिक महत्व बताया गया है,कई त्योहारों में व्रत रहने की परंपरा कई सालों से चली आ रही है और लोग बखूबी इसका निर्वहन भी कर रहे हैं,कई बार तो व्रत निर्जला भी होता है जिसमें अन्न,जल के बिना ही पूरा दिन बिताना होता है और अगले दिन सुबह नहाने के बाद ही भोजन ग्रहण किया जाता है,जिसे हम आम भाषा में पारन करना भी कहते हैं,वहीं कुछ त्योहार में व्रत के दौरान आप फल,जल ग्रहण कर सकते हैं।
हालांकि व्रत तो अमूमन आधे से अधिक जनसंख्या करती है,लेकिन ये पूछा जाए कि आखिर ये व्रत किस लिए किया जा रहा है,तो बड़े ही बेतुके उत्तर मिलते हैं,जैसे:
– हमें स्वर्ग नसीब हो
– हमारा परिवार खुशी पूर्वक रह सके
– हमें अच्छी नौकरी मिल जाए
– दीर्घायु रहें
इत्यादि लिस्ट बहुत ही लंबी है और आप सोच भी नहीं सकते कितने उद्देश्य हैं इस व्रत के,अब आप स्वयं सोचिए
क्या इंसान को स्वर्ग व्रत के कारण ही मिलेगा?
क्या व्रत के सहारे ही अच्छी नौकरी मिल जाएगी?
अब जब इतने उद्देश्य हम स्वयं पाल कर चल रहे हैं तो ये व्रत और पूजा में हम अपने मन को कितना शामिल कर पाएंगे,ये भी आप स्वयं ही सोचिएगा।
बहरहाल व्रत का सबसे ज़रूरी फायदा है आपके शरीर का मेटाबॉलिज्म,व्रत रखने से शरीर का मेटाबॉलिज्म सुधरता है और मन को शांति भी मिलती है,और अगर आप निस्वार्थ भाव से व्रत रहें तो शायद भगवद चरण भी मिल सकता है।
इसलिए स्वार्थ छोड़िए और व्रत के महत्व को समझिए।
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