जब जब होई धरम की हानि, बारहि असुर अधम अभिमानी।
तब तक धर प्रभू विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सच्जन पीड़ा।।
जब जब पृथ्वी पर हिंसा का साम्राज्य,असुरों का आधिपत्य बढ़ता है तब तब भगवान पृथ्वी पर अवतार लेते हैं और दानवों का संहार करते हैं,इसी क्रम में अबतक भगवान विष्णु ने कुल दस अवतार लिए और इस अवतार को युगों में बांट दिया गया,पौराणिक कथा अनुसार एक युग लाखों वर्षों का होता है,तो आइए हम युगों के आधार पर भगवान विष्णु के दशावतार का शाब्दिक दर्शन करते हैं।
१. सतयुग – युगों का प्रारब्ध सतयुग से ही माना जाता है,इस युग में 17 लाख 28 हज़ार वर्ष थे,भगवान विष्णु, इस युग में मत्स्य,हयग्रीव,कूर्म,वाराह,नृसिंह नामक अवतार लिए और राक्षस कुल का सर्वनाश करके प्रह्लाद को बचाया।
२.त्रेता युग – इस युग की महत्ता हिन्दू धर्म में सर्वश्रेष्ठ है,क्योंकि इसी युग में भगवान श्री राम का ,राक्षस साम्राज्य मिटाने के लिए जन्म हुआ,रामायण ,जैसा विशाल कथानक इसी युग से जन्म लिया है,हालांकि इस युग में भगवान विष्णु के वामन और परशुराम अवतार भी जन्म लिए और पाप का सर्वनाश करके विष्णु में ही विलीन हो गए।
३.द्वापर युग – इस युग को भगवान श्री कृष्ण के महिमा गान के रूप में लोग जानते हैं,भगवान विष्णु का ये रूप कंस और उस जैसे पापियों का सर्वनाश करने एवं महाभारत में गीता का उपदेश देने के लिए हुआ था।
४.कलयुग – इस युग में ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ और मान्यताओं के मुताबिक उन्हें भी भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है जिन्होंने धर्म की पुनः स्थापना की,हालांकि कलयुग को भगवान विष्णु के सुप्रसिद्ध कल्कि अवतार के लिए जाना जाता है,कई लोगों का ये भी कहना है कि कल्कि का अवतार हो चुका है,पापियों का सर्वनाश करने के लिए।
तो ये थे युगों के आधार पर भगवान विष्णु के अवतार,ऐसे ही अन्य पौराणिक कथाओं और वास्तु,ज्योतिष संबंधी जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें।
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