शादी एक ऐसी प्रेम से भरी स्वतंत्रता है जिसमें दो भिन्न विचार मिलकर एक सम्पूर्ण मनुष्य का निर्माण करते हैं,शादी को एक बंधन बताना शायद ग़लत है,क्योंकि शादी से मतलब प्यार अथवा प्रेम से है और प्रेम कभी भी बांधता नहीं अपितु स्वतंत्र करता है।
जहां तक भाई और बहन के आपस में शादी की बात है तो दो तथ्य हैं जिससे ये साबित किया जा सकता है कि ये शादी किसी भी मायने में शादी के लक्ष्य तक नहीं पहुंच पा रही।
१.शादी हमेशा दो अलग विचारों को एकजुट करने और उस से एक सम्पूर्ण मनुष्य बनाने का नाम है,ऐसे में अगर भाई बहन ही आपस में शादी कर लें तो विचारों के समानता की संभावना काफ़ी हद तक बढ़ जाती है,जिससे शादी लक्ष्यहीन हो जाती है।
२.कुछ जेनेटिक बीमारियां होती हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी फैलती हैं,ऐसे में अगर भाई बहन आपस में शादी कर लें,तो यही बीमारी उनके बच्चों में भी फैलने का खतरा बना रहता है , इसी खतरे को रोकने के लिए भी भाई बहन के आपस में शादी करने का प्रावधान नहीं है।
३.हिन्दू मैरिज एक्ट के मुताबिक़ भी भाई बहन आपस मै शादी नहीं कर सकते,ये कानूनन अपराध की श्रेणी में भी आता है।
तो ये कुछ तथ्य थे जिनसे ये स्पष्ट होता है कि भाई बहन का आपस में शादी करना कहीं से भी तर्कसंगत नहीं जान पड़ता है,बाक़ी आप सभी पढ़े लिखे जन इस पर विचार ज़रूर करें और अपनी टिप्पणी लिख भेजें।
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